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Showing posts from March, 2021

Rashtriya Dalit Prerna Sthal

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  The Rashtriya Dalit Prerna Sthal and Green Garden is a memorial in  Noida , It was commissioned by Chief Minister of Uttar Pradesh  Mayawati  and inaugurated on 14 October 2011. It is spread over 33 acres of land, and includes the idols consecrated for the people who devoted their life for humanity, equality and social justice, including  Gautama Buddha ,  Sant Shiromani Raidass ,  Sant Kabir ,  Jan Nayak Birsa Munda ,  E V Periyar Ramasami ,  Narayana Guru ,  Chattrapati Sahuji Maharaj ,  Bhimrao Ambedkar ,  Jyotiba Phule  and  Kanshi Ram  . It also has twenty-four eighteen-foot high  sandstone  statues of elephants, the symbol for traditional Indian Welcome . The monument is dedicated to the social reformers #RashtriyaDalitPrernaSthal

Garden of five senses

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 The Garden of Five Senses is not just a park, it is a space with a variety of activities, inviting public interaction and exploration. The project, developed by Delhi Tourism Transportation Development Corporation, was conceptualized to answer to the city's need for leisure space for the public, for people to socialize and unwind. Such spaces add atmosphere and life to a city and cater to all sections of the society. The Garden has been designed to the imagery suggested by the name Garden of Five Senses. Colour, fragrances, texture and form all come together in an evocative bouquet that awakens the mind to the beauty of life and invokes a grateful prayer for the gift of sight, sound, touch, smell and taste. #GardenofFiveSenses

Hutheesingh Jain Temple

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  हथींसिंग जैन मंदिर, 15 वें जैन तीर्थंकर धर्मनाथ को समर्पित है और इसे अहमदाबाद के एक व्‍यवसायी शेठ हथिसिंग के द्वारा दान 10 लाख रूपयों की लागत से बनाया गया है। इसका निर्माण 1848 ई. र्पू. हुआ था। इसे सफेद पत्‍थर से बनवाया गया है जो सलत समुदाय के लिए एक उत्‍कृष्‍ट शिल्‍प कौशल का नमूना है और इसमें विशेष रूप से प्रेमचंद्र सलत का काम भी हुआ है। #HutheesingJainTemple

Sidi Saeed Mosque

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  अहमदाबाद में स्थित सीदी सैयद मस्जिद  का निर्माण 1573 में हुआ था। जिसे गुजरात सल्तनत (1407-1573) के आखिरी सुल्तान शम्स-उद-दीन मुजफ्फर शाह तृतीय के दौर में निर्माण कराया गया था। इसकी पश्चिमी दीवार की खिड़कियों पर उकेरी गई जालियां पूरी दुनिया में मशहूर है। एक-दूसरे से लिपटी शाखाओं वाले पेड़ को दिखाती ये नक्काशी पत्थर से तैयार की गई है। इस मस्जिद में करीब 10 जालियां हैं, जिनमें 7 जालियों में पत्थर पर वृक्ष एंव पत्तियों की नक्काशी की गई है और तीन जालियां खुली हुई हैं। इस मस्जिद में जालीदार नक्काशी का बेहतरीन काम हुआ है, इसीलिए इसे सीदी सैयद की जाली भी कहते हैं। यह मस्जिद भारतीय-अरबी नक्काशी का बेजोड़ नमूना है। आईआईएम, अहमदाबाद का लोगो बनाने की प्रेरणा इसी मस्जिद की जाली से मिली थी। कहा जाता है कि जब अंग्रेज़ भारत में काबिज हो गए तो उन्होंने इस मस्जिद की एक जाली निकाल ली थी और उसे ब्रिटिश म्यूज़ियम में रखवा दिया था। #SidiSeedMosque