Gol ghar- Patna











गोलघर' का निर्माण 1786 में कराया गया था। वर्ष 1770 में भयंकर सूखे से लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए थे। तब तत्कालीन गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग ने अनाज के भंडारण के लिए गोलघर निर्माण की योजना बनाई थी।

ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन जॉन गार्स्टिन ने फौज के अनाज भंडारण के लिए इस गोल ढांचे का निर्माण 20 जनवरी, 1784 को प्रारंभ करवाया था। यह निर्माण कार्य 20 जुलाई, 1786 को संपन्न हुआ। इस घर में 140,000 टन अनाज रखा जा सकता है। यह गोलघर 125 मीटर चौड़ा और 29 मीटर ऊंचा है। इसकी खासियत है कि इसमें एक भी स्तंभ नहीं है। इसकी दीवारें 3.6 मीटर मोटी हैं।


गोलघर में ऐसे तो ईंटों का प्रयोग हुआ है लेकिन इसके शिखर पर लगभग तीन मीटर तक ईंट की जगह पर पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। कहा जाता है कि मजदूर एक ओर से अनाज लेकर गोलघर के शीर्ष पर पहुंचते थे और वहां बने दो फीट सात इंच व्यास के छिद्र में अनाज डालकर दूसरी ओर की सीढ़ी से उतरते थे।


वैसे बाद में इस छिद्र को बंद कर दिया गया। 145 सीढियों को तय कर गोलघर के ऊपरी सिरे पर पहुंचा जा सकता है। यहां से शहर के एक बड़े हिस्से खासकर गंगा तट के मनोहारी दृश्य को देखा जा सकता है।


देखरेख के अभाव में इसकी दीवारें और सीढियां टूटने लगी थीं। निर्माण के 227 वर्ष बाद इसकी मरम्मत कराई गई। गोलघर के पूर्वी और दक्षिणी दरवाजे के ऊपर दीवारों पर आई खतरनाक दरारों को सुर्खी, चूना, गुड़ और गोंद से भरा गया है।

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